दिल्ली/गाजियाबाद। गाजियाबाद में बदमाशों की गोली का शिकार बने पत्रकार विक्रम जोशी की बुधवार सुबह मौत हो गई। उनके भाई ने यह जानकारी दी है। उधर पुलिस ने इस हमले के सिलसिले में नौ लोगों को गिरफ्तार किया है। परिजनों ने पुलिस के रवैये पर नाराजगी व्यक्त की है। गाजियाबाद में पत्रकार जोशी ने अपनी भांजी के छेड़ने की तहरीर पुलिस को दी थी। पुलिस ने न तो उसमें कार्यवाही की और न ही किसी की गिरफ्तारी की। तहरीर देने से नाराज बदमाशों ने पत्रकार को गोली मार दी। पत्रकार जिंदगी और मौत से अस्पताल में लड़ रहा है। गाजियाबाद के पत्रकार विक्रम जोशी का कसूर बस इतना था अपनी भांजी को लगातार छेड़ने वालों के खिलाफ थाने में तहरीर दी थी। तहरीर देने से नाराज बदमाशों ने सोमवार रात विक्रम को गोली मार दी थी। विक्रम के सिर में गोली लगी थी। उन्हें गंभीर हालत में यशोदा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यह घटना सीसीटीवी में क़ैद हो गई है। तमाम पत्रकारों ने इस घटना की निंदा की है और योगी सरकार से पत्रकार की मदद करने की मांग की है।
योगी सरकार अपराधों पर रोक लगाने में नाकाम, एनकाउंटरों को लेकर भी सरकार की मंशा पर सवाल, कुछ खास जातियों को निशाना बनाने और अन्य को छूट देने के आरोप
तमाम दावों के बावजूद उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार अपराधियों पर रोक लगाने पर विफल रही है। बदमाशों के एनकाउंटर को लेकर भी सरकार की मंशा सवालों के घेरे में है। आरोप है कि कुछ खास जातियों के अपराधियों को ही निशाना बनाया जा रहा है, जबकि कुछ को खुली छूट दी जा रही है। हालांकि, अपराधों के प्रति विपक्षी दल राज्य सरकार के खिलाफ बस बयानबाजी तक ही सीमित हैं। राज्य में दो साल बाद चुनाव होने हैं ऐसे में गाजियाबाद जैसी घटनाएं पुलिस के प्रति घटते विश्वास और प्रदेश में जंगलराज बढ़ने की ओर ही इशारा करती हैं। सरकार ने तत्काल ही कठोर कार्रवाई न की तो बदमाशों के हौसले और बढ़ सकते हैं।