देहरादून। उड़ीसा में एक व्यक्ति का अपहरण करने के बाद देहरादून में छिपे व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी पहले पल्टन बाजार में कपड़े का व्यापार करता था। उत्तराखंड पुलिस को उड़ीसा पुलिस ने इस व्यक्ति के बारे में जानकारी दी थी। पुलिस ने विशेष टीम का गठन करके आरोपी राजीव दुआ को गिरफ्तार कर लिया। उड़ीसा की संबलपुर पुलिस से देहरादून पुलिस को जानकारी मिली कि वहां के एक बड़े बिल्डर का अपहरण करने का मुख्य साजिशकर्ता देहरादून का रहने वाला है और वही छुपा हुआ है। डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एसओजी को मामले की जांच सौंपी।
इसके बाद एसओजी सीओ दिनेश चंद्र ढौंढियाल की लीडरशिप में अभियुक्त की गिरफ्तारी हेतु सूचना तंत्र को मजबूत किया गया तथा प्रभारी निरीक्षक एसओजी तथा थानाध्यक्ष रायपुर के नेतृत्व में संयुक्त टीम द्वारा अभियुक्त राजीव दुआ की तलाश हेतु अभियान चालाया गया। खास की सूचना पर अभियुक्त राजीव दुआ को रविवार को डोभाल चौक, रायपुर के पास से गिरफ्तार किया गया। अभिुयक्त के कब्जे से वारदात में प्रयुक्त की गई स्विफ्ट कार व मोबाइल फोन बरामद किया गया।
अभियुक्त की कहानी उसकी जबानी
देहरादून के पल्टन बाजार स्थित अंसारी मार्केट के रहने वाले राजीव दुआ ने पूछताछ में बताया, ‘मेरी पल्टन बाजार में कपड़े की दुकान थी, परन्तु कारोबार ठीक से न चल पाने के कारण मैं 2018 में अपने मामा रमेश आहुजा के पास सम्बलपुर, उड़ीसा चला गया तथा वहां अपना कपड़ों का कारोबार शुरू किया, लेकिन कारोबार न चल पाने के कारण मुझ पर काफी कर्जा हो गया। कारोबार के दौरान मेरी मुलाकात संबलपुर के एक व्यक्ति सैफ से हुई, जो पेंट का काम करता था तथा अक्सर मेरी दुकान पर कपड़े लेने आता था। सैफ ने मेरी मुलाकात राजा से करवाई। चूंकि हम तीनों काफी कर्जे में डूबे हुए थे, इसलिए हमने मेरे मामा के पड़ोस में रहने वाले एक कारोबारी नरेश अग्रवाल का अपहरण कर फिरौती मांगने की योजना बनाई। योजना के मुताबिक पहले हमने तीन से चार माह तक नरेश अग्रवाल के आने-जाने तथा रोजमर्रा के कार्यों की रेकी की। इस दौरान हमने पाया कि नरेशअग्रवाल का सैशन बाईपास चौक के पास एक प्लाट था, जिसमें निर्माण कार्य चल रहा था तथा वह निर्माण कार्यों का जायजा लेने रोज उस प्लाट पर जाता था, इस पर हमने प्लाट के पास से ही उसका अपहरण करने की योजना बनाई तथा इस 10 जुलाई को पूर्व नियोजित योजना के तहत अपने साथियों को ऐडावाली चौक सम्बलपुर में मिलने के लिए बुलाया। अपहरण के लिए मैंने अपनी कार का इस्तेमाल किया तथा उसकी नम्बर प्लेट चेंज कर दी। वहां से मैं, सैफ, राजा तथा एक अन्य व्यक्ति, जिसे राजा अपने साथ लाया था, को लेकर सैशन बाईपास चौक के पास उक्त प्लाट पर पहुंचा, हमारे पास नारियल काटने वाले हथियार थे। जैसे ही नरेश अग्रवाल प्लाट से वापस जाने के लिए अपनी गाड़ी की ओर गया, मेरे तीन अन्य साथियों ने उसे पकड़कर हमारी गाड़ी में बैठा लिया तथा वहां से हम सभी फरार हो गये। योजना के मुताबिक हम उसे बेहोश करके पहले से ही किराये पर लिए गये एक मकान मे ले गये। अपहरण करने के पश्चात हम उसके परिजनों को फिरौती के लिये फोन करने ही वाले थे कि हमें पता चला कि पुलिस द्वारा नरेश अग्रवाल की तलाश हेतु जगह-जगह छापेमारी व चैकिंग की जा रही है। जिससे हम सभी काफी घबरा गये तथा उसी दिन लगभग 07 से 08 घंटे के बाद नरेश अग्रवाल को उसके घर के ही पास छोडकर फरार हो गये। उसके पश्चात मैं 18 जुलाई को अपनी कार से उड़ीसा से देहरादून आ गया’।