विशेष संवाददाता
अगर आप आम आदमी हैं तो आपको उत्तराखंड नहीं आना चाहिए, क्योंकि यहां पर नेता खुले आम घूम रहे हैं। आपको उत्तराखंड आने पर क्वारेंटीन सहित कई तरह की पाबंदियां झेलनी पड़ सकती हैं। आपके पास कोविड निगेटिव सर्टीफिकेट हो तो भी कोई पुलिस वाला आपको रोक सकता है, लेकिन किसी मंत्री, विधायक, जज या ऑफिसर पर कोई पाबंदी नहीं है। अब आप सोच रहे होंगे कि हम आपको देहरादून आने से मना क्यों कर रहे हैं। भाई साहब आप देख नहीं रहे हैं कि नेता सुपर स्प्रैडर बन चुके हैं। अब कोरोना को नेतागिरी भा गई है और एक के बाद एक नेता कोरोना के शिकार हो रहे हैं। हर नेता दर्जनों नेताओं को संक्रमित कर रहा है, सोचो यह चेन कितनी लंबी हो गई होगी। डर इसलिए है कि इसके बावजूद इनके खुलेआम घूमने पर कोई रोक नहीं है।
आप कहेंगे भाई नेता तो जनसेवक हैं। किसी भी गलतफहमी में न रहें और खुद को घर के भीतर बंद कर लें, जैसे किसी लॉयन सफारी में शेर खुलेआम घूमते हैं और आप पिंजरे के भीतर होते हैं। वही हाल है। हमारे वोट से शेर बने नेता तो पहले ही कम खतरनाक नहीं थे, लेकिन कोरोना चढ़ने से उनकी स्थिति करेला और नीम चढ़ा जैसी हो गई है। अमित शाह को कोरोना हुआ तो वे एक निजी अस्पताल में भर्ती हो गए। निश्चित ही इस अस्पताल के कई और प्रमुख डॉक्टर इस खास मरीज की देखभाल में होंगे, लेकिन वीवीआईपी के लिए यही काफी नहीं थे। एम्स से भी डॉक्टरों की टीम उनकी देखाभाल में है। अब आप बताओ कि अगर एक के बाद एक नेता इसी तरह अस्पतालों में भर्ती होते रहे तो न आपको अस्पतालों में जगह मिलेगी और न ही आपको डॉक्टर मिलेंगे। आपको बस भगवान का ही सहारा रह जाएगा। जिस उत्तराखंड में नेता सभी नियम कानूनों से मुक्त हों, वहां पर वे कितनी तेजी से कोरोना फैलाएंगे कि आप अंदाज भी नहीं लगा सकते। बेहतर है कि आप तो घर के भीतर ही रहें। कोई नेता दिख जाए तो एक चादर अपने पास रखें और उससे पूरी तरह खुद को लपेट लें, क्योंकि जंगल में शेर भले ही आपको न देख रहा हो, लेकिन अगर आपको शेर दिख जाता है तो आप भागकर अपनी जान बचाते हैं। लोकशाही के ये नए सामंत खुद को ऐसा ही शेर समझते हैं और आपकी हैसियत चुनाव तक इनके किसी चाकर जैसी ही है।