संजीव पांडेय
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लैटिन अमेरिकी और एशियाई लीडरों की कतार में शामिल हो रहे हैं। ट्रंप पर अब उनके इन्कम टैक्स जमा करवाए जाने को लेकर संदेह जताया गया है। ट्रंप के इन्कम टैक्स रिटर्न पर सवाल उठाए गए हैं। यही नहीं ट्रंप अपनी आय संबंधित ब्योरा अमेरिकी जनता के सामने रखने से बच रहे हैं। इस बीच, अमेरिकी मीडिया ने ट्रंप के इन्कम टैक्स रिटर्न पर सवाल खड़े किए हैं। हालांकि, अमेरिकी कानून अमेरिकी राष्ट्रपति एवं दूसरे नेताओं को इन्कम टैक्स रिटर्न जनता के सामने रखने को बाध्य नहीं करता। क्योंकि, अमेरिका में इन्कम टैक्स संबंधित ब्योरा राइट टू प्राइवेसी में कवर होता है। लेकिन अमेरिकी लीडरों ने संवैधानिक बाध्यता न होने के बावजूद खुद ही इन्कम टैक्स रिटर्न सार्वजनिक करने की परंपरा शुरू की थी, जिसे वर्तमान में ट्रंप तोड़ रहे है।
डोनाल्ड ट्रंप अरबों डालर के मालिक है। 2016 के चुनावो से पहले उन्होंने अपने आय संबंधित ब्योरे की जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि उनके पास 10 अरब डालर की संपति है। ट्रंप रिएल एस्टेट के बड़े कारोबारी है। लेकिन न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट ने ट्रंप की फजीहत कर दी है। न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि ट्रंप ने 2016 में 750 डालर फेडरल इन्कम टैक्स भरा। इसके अगले साल राष्ट्रपति रहते हुए ट्रंप ने फिर 750 डालर इन्कम टैक्स भरा। ट्रंप की इन्कम टैक्स रिटर्न के ब्योरे से अमेरिकी जनता हैरान परेशान है। लेकिन इससे भी बडा खुलासा यह है कि अरबों डालर के मालिक ट्रंप ने पिछले 15 सालों के 10 सालों में कोई इन्कम टैक्स ही नहीं दिया। ट्रंप उदारवादी अमेरिकी कानूनों का पूरा लाभ उठा रहे है। अमेरिकी कानून उन्हें इन्कम टैक्स रिटर्न सार्वजनिक करने को बाध्य नहीं करते। लेकिन ट्रंप पर यही सवाल है कि अगर वे पाक-साफ है तो अपने आयकर रिटर्न जनता के सामने क्यों नहीं रखते? ट्रंप अमेरिका के 47 साल पुरानी परंपरा को क्यों खत्म करना चाहते है, जिसमें राष्ट्रपति पद के तमाम उम्मीदवारों अपने आय संबंधी ब्योरा जनता के सामने रखा है। पहली बार 1973 में पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने अपना टैक्स रिटर्न जनता के सामने रखा था। क्योंकि निक्सन के व्यक्तिगत टैक्स को लेकर विवाद हो गया था।
निश्चित तौर पर जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है ट्रंप फंसते जा रहे है। ट्रंप पर जोरदार हमलें हो रहे है। इसका असर ट्रंप पर दिख रहा है। ट्रंप के व्यवहार में बदलाव नजर आ रहा है। उनके चेहरे पर परेशानी सरेआम झलक रही है। कभी कभी ट्रंप तानाशाहों की तरह ब्यान दे रहे है। वे यह भी भूल गए है कि वे विश्व के एक शक्तिशाली लोकतंत्र के राष्ट्रपति है। ट्रंप अब धमकी दे रहे है कि वे चुनाव हार भी गए तो नए राष्ट्रपति को पावर ट्रांसफर आसानी से नहीं करेंगे। चुनावों के दौरान ट्रंप लगातार धमकी दे रहे है। उनके भाषणों में एशियाई लीडरों की झलक दिख रही है। वे धर्म और रेस के नाम पर अमेरिका में विभाजन करने की कोशिश कर रहे है। वे चाहते है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव व्हाइट वर्सेज ब्लैक हो जाए। अमेरिका के गोरे ब्लैक के खिलाफ हो उनके साथ चले। लेकिन ट्रंप की मुश्किल यह है कि कई बड़े रिपब्लिकन नेता और उनके परिवार ट्रंप के खिलाफ है। बड़े रिपब्लिकन लीडर स्वर्गीय जॉन मैक्केन की फैमिली ने ट्रंप का विरोध किया है। वे जो बाइडेन के समर्थन में खड़े हो गए है।
अगर अमेरिका की तरह ही भारत में भी सार्वजनिक जीवन जीने वाले नेताओं को इन्कम टैक्स रिटर्न सार्वजनिक करने के नियम से छूट मिल जाए तो भारतीय नेताओं के मजे लग जाएंगे। भारत में 1961 के इलेक्शन रूल्स के तहृत आय के बारे में चुनाव लड रहे उम्मीदवार को जानकारी देनी होती है। भारत में विधानसभा हो या लोकसभा, चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को अपनी संपति एवं आय की पूर्ण जानकारी चुनाव आयोग को देनी होती है। चुनाव लड़ने वाले नेताओं को पांच सालों का इन्कम टैक्स रिटर्न जमा करवाना होता है। हालांकि एशियाई देशों में टैक्स चोरी करने के आरोपी नेताओं की भरमार है। भारत में आयकर विभाग कई नेताओं के खिलाफ आयकर चोरी के आरोपों की जांच कर रहा है। पाकिस्तान मे हर बड़ा नेता आयकर चोरी का आरोपी है। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर आयकर चोरी का आरोप लगा। पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी पर आयकर चोरी का आरोप लगा। वर्तमान प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके परिवार पर भी आयकर चोरी का आरोप लगा है। हालांकि यह अलग बात है कि पाकिस्तान की सबसे भ्रष्ट मिलिट्री पर अभी तक आयकर चोरी का आरोप नहीं लगा है। कई अन्य एशियाई देशों के लीडरों पर आय के अधिक संपति अर्जित करना आम बात है।